''वी. अनुराधा सिंह'' कथक नृत्यांगना
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Biodata

बायोडाटाः-

  1. वी. अनुराधा सिंह भोपाल म.प्र. की निवासी हैं। वस्तुतः कथक नृत्य पारम्परिक रूप से एकल नृत्य प्रदर्शन की कला है, इसी मौलिकता को यथावत् रखते हुए रोजाना नियमित रूप से 8 घंटे का कठिन रियाज़ करती हैं, जिसकी पुष्टि उनके 2 घंटे के ऊर्जावान, नयनाभिराम, अति सफल एकल कथक मंच प्रदर्शनों से की जा सकती है।
  2. अनुराधा सिंह एक मात्र ऐसी कथक मंच नृत्यांगना हैं, जिन्होंने राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर के सर्वाधिक प्रतिष्ठित महोत्सवों में शुद्ध कथक की बोल-परनों एवं लयकारियों की खूबियों को कठिन रियाज़ द्वारा आत्मसात कर विश्व स्तर पर कथक के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
  3. सोशल मीडिया में देश की अनुराधा एकमात्र ऐसी कथक नृत्यांगना हैं जिनके सर्वाधिक मंच प्रदर्शनों की वजह से गूगल सर्च में आपके नाम से 1,40,00,000 पेजेस खुलते हैं जो कि अपने आप में एक कीर्तिमान है।
  4. वी अनुराधा सिंह मध्यप्रदेश की एकमात्र एकल कथक नृत्यांगना हैं जिन्हें संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार के अंतरराष्ट्रीय सांस्कृतिक संगठन (INTERNATIONAL CULTURAL RELATIONS)] (FESTIVAL OF INDIA ABROAD CELL) द्वारा उत्कृष्ट श्रेणी (OUTSTANDING CATEGORY/ TOP GRADE)के रूप में चयनित व सूचीबद्ध किया गया है।
  5. वर्ष 2019 में भारत सरकार ने भारत महोत्सव मेक्सिको अंतर्राष्ट्रीय महोत्सव हेतु देश से एकमात्र कथक नृत्यांगना वी अनुराधा सिंह को 2 घंटे के एकल कथक प्रदर्शनों हेतु मेक्सिको भेजा।
  6. वी अनुराधा सिंह ने प्रथम अंतर्राष्ट्रीय मंच प्रदर्शन वर्ष 1988 में 17 वर्ष की अल्प आयु में भारत सरकार द्वारा आयोजित भारत महोत्सव रूस के अंतर्गत मास्को में किया।
  7. भारत के लगभग 800 से अधिक अति प्रतिष्ठित सांस्कृतिक समारोहों में वी अनुराधा सिंह ने एकल कथक नृत्य की ऊर्जावान मंच प्रस्तुतियाँ दी हैं, (सूची संलग्न)
  8. देश के विभिन्न अति प्रतिष्ठित नृत्य समारोहों- खजुराहो नृत्य समारोह, मोढ़ेरा नृत्य फेस्टिवल गुजरात, कथक महोत्सव दिल्ली, अर्न्तराष्ट्रीय ताज महोत्सव आगरा, राज्योत्सव छ.ग., खैरागढ़ महोत्सव, बद्रीकेदार महोत्सव, अजंता ऐलोरा महोत्सव औरंगाबाद, चक्रधर समारोह रायगढ़, पुणे फेस्टिवल, लखनऊ एवं गंगा समारोह, बुद्धा फेस्टिवल गया, राजगीर फेस्टीवल राजगीर, मालाबार फेस्टीवल कैलिकट, महाराणा कुम्भा फेस्टीवल उदयपुर, नवरसपुर फेस्टीवल कर्नाटका, अलाउद्दीन खां संगीत फेस्टीवल मैहर, उदयशंकर नृत्य फेस्टीवल कोलकाता, उदयशंकर बैले फेस्टिवल कोलकाता, गोलकुण्डा फेस्टीवल हैदराबाद, डक्कन डांस फेस्टिवल हैदराबाद, कालीदास फेस्टीवल नागपुर, कालीदास फेस्टिवल एवं श्रावण महोत्सव उज्जैन, झाँसी महोत्सव, विंध्य महोत्सव, सिंहस्थ महोत्सव उज्जैन, पूनम फेस्टीवल राष्ट्रीय मानव संग्रहालय, चक्रधर समारोह रायगढ़, लद्दाख फेस्टीवल, पं. बसंतराव देशपाण्डे संगीत समारोह (नागपुर), पं. लालमणि मिश्र संगीत समारोह, कानपुर, श्री संकटमोचन संगीत समारोह बनारस, भारत भवन स्थापना दिवस, भोरमदेव फेस्टीवल छ.ग., आईलैंड टूरिज्म फेस्टीवल (पोर्ट ब्लेयर), मालाबार महोत्सव कैलिकट, बैजूबावरा राष्ट्रीय संगीत समारोह, DIAF दिल्ली अर्न्तराष्ट्रीय कला महोत्सव, पारंगत महोत्सव रायपुर, अलवाज़ फेस्टीवल (कर्नाटक), बाल गंधर्व संगीत महोत्सव जलगांव, सुंदरलाल गंगानी कथक समारोह वडोदरा, सोलापुर महोत्सव, बिदर महोत्सव कर्नाटक, कथक महोत्सव जयपुर, झील महोत्सव भोपाल, पचमढ़ी महोत्सव, घुंघरू नृत्य महोत्सव रीवा, भाव-अनुभाव भारत भवन भोपाल, देवराहा बाबा संगीत समारोह गिरीड, कलांजली फेस्टिवल झारखंड आदि अनेक समारोहों में एकल कथक मंच प्रदर्शन किया है। इसके साथ ही अर्न्तराष्ट्रीय मंचों पर एकल कथक प्रदर्शन- मास्को, बैंकाक, ताशकंद, आबूधाबी, सिंगापुर, लाहौर, मेक्सिको आदि। (सूची संलग्न)
  9. वर्ष 1991 में वी अनुराधा सिंह ने वृंदा कथक केन्द्र की भोपाल में स्थापना की, जिसकी 3 शाखाऐं हैं, जिसमें कथक के साथ ही अन्य संगीत विधाओं में भी प्रशिक्षण, डिप्लोमा, डिग्री व मंच प्रदर्शन की बारीकियाँ सिखाई जाती आ रही हैं, जो कि प्रयाग संगीत समिति इलाहाबाद से संबद्ध है। अभी तक आपने लगभग 5 हजार से ज्यादा विद्यार्थियों को देश की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित और संवर्धित करते हुए आत्मनिर्भर एवं रोजगारोन्मुख बनाने की दिशा में सराहनीय कार्य कर रही हैं। देश के छोटे कस्बों और गांवों की बालिकाओं को उनके रूचि एवं हुनर के अनुसार कला विद्या की निःशुल्क प्रशिक्षण ऑनलाइन एवं ऑफलाइन के माध्यम से दिया जा रहा है, जिसके फलस्वरूप ये प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थानों में अपनी सेवायें देकर आत्मनिर्भर बन रही हैं।
  10. वी अनुराधा सिंह ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विदेशों में स्थित भारतीय दूतावास एवं भारतीय सांस्कृतिक केन्द्र में एकल कथक नृत्य के निःशुल्क प्रदर्शन दिये हैं, जिनमें प्रमुख हैं - भारतीय दूतावास यूएई-अबूधाबी, थाइलैंड - बैंकाक, श्रीलंका-कोलम्बो, सिंगापुर आदि।
  11. वी अनुराधा सिंह अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपने ऊर्जावान एकल कथक नृत्य के लिए प्रसिद्ध हैं व सोशल मीडिया पर उनके सर्वाधिक मंच प्रदर्शन के वीडियो से अभिभूत होकर जिज्ञासावश कथक नृत्य के विदेशों में स्थित कलाकार एवं वर्ल्ड परफार्मिंग आर्ट यूनिवर्सिटी के प्राध्यापक आदि भी कथक की बारीकियाँ सीखने भोपाल आ चुके हैं जिनमें प्रमुख हैं - श्रीलंका की मदुरा सिंगे जो कि श्रीलंका के कला विश्वविद्यालय में कथक की विभागाध्यक्ष हैं।
  12. आपको भारत के अतिप्रतिष्ठित महोत्सवों में एक से अधिक बार प्रस्तुतियों हेतु आमंत्रित किया जाता रहा है।

जैसे-

  • खजुराहो नृत्य समारोह 2007, 2015, 2024
  • पुणे फेस्टिवल
  • गंगा फेस्टिवल
  • लखनऊ महोत्सव
  • भोरमदेव महोत्सव
  • स्थापना दिवस, छत्तीसगढ़
  • कालीदास समारोह, नागपुर
  • चक्रधर समारोह, रायगढ़
  • भोजपुर उत्सव

  1. सृजनात्मक अविष्कारः-विश्व में पैरों से बजाया जाने वाला वाध्य नहीं है, इसलिए वी अनुराधा सिंह ने शुद्ध कथक के तकनीकी ताल पक्ष पर क्रियात्मक शोध करके विभिन्न लयकारियों, छंदों, बंदिशों, कायदों, गतों जो कि अभी तक सिर्फ हाथों से तबला या पखावज पर बजाई जाती हैं, उन्हें अपने कठिन नियमित रियाज़ द्वारा पैरों में समाहित किया और शास्त्रीय संगीत घुँघरू का 2 घण्टे का मंच प्रदर्शन एक ही स्थान पर खड़े होकर पद संचालन द्वारा अति प्रतिष्ठित शुद्ध संगीत महोत्सवों में किया जहाँ कभी नृत्य नहीं हुआ, जिसमें प्रमुख है :- सिंगापुर फाईन ऑर्ट्स सोसायटी (SIFAS) सिंगापर, बाबा हरवल्लभ संगीत समारोह-जालंधर, बालगंधर्व संगीत समारोह-जलगाँव, बैजूबावरा राष्ट्रीय संगीत समारोह-भोपाल, कालीदास समारोह-नागपुर, शनि जयंती समारोह-इंदौर आदि।
  2. मध्यप्रदेश की एकमात्र कथक नृत्यांगना जिन्होंने सर्वाधिक विदेशों में एकल कथक नृत्य की मंच प्रस्तुतियाँ दीं। साथ ही अल्प आयु 17 वर्ष में भारत महोत्सव रूस एवं तत्कालीन वर्ष 2019 में कोविड के पहले भारत महोत्सव मेक्सिको में लगातार अपनी उपस्थिति व सक्रियता का प्रदर्शन किया।
  3. भारत की एकमात्र कथक नृत्यांगना जो कि संगीतकार भी हैं, आपको शुद्ध संगीत महोत्सवों में जहाँ नृत्य की अनुमति नहीं होती है, वहाँ भी शास्त्रीय घुँघरू संगीत का मंच प्रदर्शन हेतु आमंत्रित किया गया।
  4. वी अनुराधा सिंह अपनी विशिष्ट ऊर्जावान तकनीकी ताल पक्ष के लिए प्रसिद्ध हैं। आपकी 140 चक्कर प्रति मिनट की स्पीड, लगातार बिना रूके 2 घंटे के अति ऊर्जावान हस्तक एवं पैरों के संचालन को कथानक और भावों के साथ समाहित करके प्रदर्शन करना अत्यंत दुष्कर कार्य है, जो कि आपकी लगन व रियाज़ का परिचायक है।
  5. विषय वस्तु विशेषज्ञ के रूप में वी अनुराधा सिंह ने विभिन्न विशिष्ट विषयों की पृष्ठ भूमियों पर एकाग्र समूहों कथक संरचना कर भोपाल के नवोदित प्रशिक्षित कथक कलाकारों को अपने समूह कथक मंच प्रदर्शन में कला दिखाने का अवसर प्रदान किया, जिनमें प्रमुख हैं :- आम्रपाली और बुद्धा, राम प्राकट्टय, महादेव, गंगा अवतरण, कृष्ण भक्ति, मीराबाई, अमीर खुसरो, कबीर, तुलसीदास एवं होली, बसंत, मल्हार आदि में प्रशिक्षण देकर नवोदित कलाकारों को अपने साथ मंच साझा किया।
  6. वी अनुराधा सिंह ने आमजन के लिए भक्ति कथक की रचना की जिसके अंतर्गत देवी-देवताओं के श्लोकों, पदों, भजनों को शुद्ध कथक के साथ संयोजित कर भक्ति रस एवं आध्यात्मिक ऊर्जावान नृत्य की मनोहारी प्रस्तुतियाँ की हैं।
  7. रायगढ़ घराने को सक्रिय मंच प्रदर्शन द्वारा प्रसिद्ध करने का श्रेय वी अनुराधा सिंह को जाता है। आपने रायगढ़ घराने के संस्थापक राजा चक्रधर सिंह की स्मृति में चक्रधर महोत्सव का वार्षिक आयोजन भी नियमित रूप से वंदा कथक केन्द्र द्वारा किया जाता रहा है, जिसमें अतिप्रतिष्ठित कलाकारों को आमंत्रित किया जाता है। साथ ही भोपाल के नवोदित प्रशिक्षणार्थियों को भी चक्रधर महोत्सव का मंच प्रदान किया जाता है।

रायगढ़ घराने के श्रृद्धेय गुरूजी पंडित कार्तिकराम जी की वी अनुराधा सिंह गंडाबंध शिष्य हैं। उन्हीं की स्मृति में वर्ष 2010 से प्रतिवर्ष पंडित कार्तिकराम स्मृति समारोह का भोपाल में आयोजन वृंदा कथक केन्द्र के द्वारा नियमित रूप से होता आ रहा है, इस समारोह में देश के प्रतिष्ठित शास्त्रीय नृत्यकारों को मंच प्रदर्शन हेतु भोपाल आमंत्रित किया जाता है। वृंदा कथक केन्द्र के 5 साल से 65 साल तक के प्रशिक्षणार्थी भी इस समारोह में अपने कथक मंचन से उन्हें श्रृद्धांजलि अर्पित करते हैं।

  1. भारत के छत्तीसगढ़ राज्य में स्थित इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय में वर्ष 1990 में आपको मंच प्रदर्शन हेतु दरबार हॉल में आमंत्रित किया गया। वर्ष 1991 में आपने इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय, खैरागढ़ से कथक नृत्य में स्नातकोत्तर की उपाधि स्वर्ण पदक, प्रावीण्य सूची में प्रथम स्थान के साथ प्राप्त की। इसी विश्वविद्यालय में 2005 में आपने खैरागढ़ महोत्सव में एकल मंच प्रदर्शन की प्रस्तुति दी साथ ही वर्ष 2015 में राष्ट्रीय कथक संगोष्ठी में आपको मंच प्रदर्शन हेतु आमंत्रित किया गया।
  2. नियमित रूप से विभिन्न विद्यालयों, महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों में मंच प्रदर्शन, व्याख्यान, प्रशिक्षण एवं प्रतियोगिताओं के निर्णायक की भूमिका में आमंत्रित किया जाता है। विदेशों में भी आपको आमंत्रित कर व्याख्यान एवं प्रशिक्षण हेतु आमंत्रित किया जाता रहा है जैसे- विजुअल परफार्मिंग ऑर्ट यूनिवर्सिटी- कोलम्बो श्रीलंका, सिंगापुर फाईन आर्ट्स सोसायटी-सिंगापुर आदि।
  3. वी अनुराधा सिंह कई चैरिटी शो किये हैं, जैसे- 2005 में सुनामी राहत कोष के लिए चैरिटी एकत्रित कर प्रधानमंत्री कोष में भेजना, एस.ओ.एस. बालग्राम, भोपाल के लिए निःशुल्क प्रशिक्षण एवं मंच प्रदान करना।
  4. कोविड-19 महामारी में आपने सोशल मीडिया में लगभग 70 से अधिक फेसबुक पेजेस में एकल कथक नृत्य की 2 घण्टे की मनोहारी प्रस्तुति देकर लोगों को ऊर्जा प्रदान की साथ ही शास्त्रीय कला का व्यापक प्रचार-प्रसार किया। (सूची संलग्न है)
  5. 80 के दशक में मध्यप्रदेश शासन ने शास्त्रीय मंच कथक नृत्यकारों को बनाने के लिए चक्रधर नृत्य केन्द्र की स्थापना की जिसमें दिल्ली से पंडित बिरजू महाराज, रेवा विद्यार्थी, जीवनपाणि, सुनील कोठारी आदि निर्णायकों की समिति का गठन करके मध्यप्रदेश से मंच प्रदर्शन प्रशिक्षण हेतु छात्रवृत्ति के लिए वी अनुराधा सिंह को चयनित किया। जहाँ 4 वर्षों तक नियमित 8-10 घण्टे गुरू शिष्य परम्परा में रायगढ़ घराने के स्व. पंडित कार्तिकराम जी एवं उनके सुपुत्र पदमश्री पंडित रामलाल जी ने संगतकारों के साथ मंच प्रदर्शन की बारीकियों और रायगढ़ घराने की क्लिष्टि बंदिशों आदि को कठिन रियाज़ करवाकर वी अनुराधा सिंह को मंच प्रदर्शन हेतु प्रशिक्षित किया।

मध्यप्रदेश में शास्त्रीय कथक नृत्य के एक भी मंच कलाकार नहीं थे, शासन की इस कथक छात्रवृत्ति का उद्देश्य प्रदेश में शास्त्रीय कथक नृत्य के विश्व स्तरीय कलाकार उत्पन्न करना था, जो कि अनुराधा सिंह ने पूरा किया। आज अंतर्राष्ट्रीय सांस्कृतिक संबंध की आप उत्कृष्ट श्रेणी एकल कथक नृत्यांगना हैं। आज भारत की सबसे प्रशंसित एवं सर्वाधिक 800 महोत्सवों एवं अंतर्राष्ट्रीय भारत महोत्सवों में भारत सरकार द्वारा एकल प्रदर्शन के लिए संगतकारों सहित आमंत्रित की जाती रही हैं।

  1. वी अनुराधा सिंह की एक किडनी बचपन से क्षतिग्रस्त है, जिसकी वजह से उन्हें स्थाई ब्लडप्रेशर की समस्या है एवं किडनी में इन्फेक्शन होने पर भी आप मंच प्रदर्शनों करती हैं, यह नारी शक्ति की परिचायक है। हाल ही में आपको राष्ट्र निर्माण में स्त्री की भूमिका हेतु संस्कार भारती ने अध्यक्ष बनाया था, जिसमें पद्म विभूषण सांसद सोनल मानसिंह वक्ता थी।

आपने भारत के सभी प्रदेशों और विदेशों में लगभग 800 से अधिक उच्च स्तरीय एकल कथक नृत्य प्रदर्शन, प्रतिष्ठित मंचों पर किया है जिनमे कालिदास समारोह नागपुर, वसंत राव देशपांडे स्मृति समारोह नागपुर, खजुराहो फेस्टिवल, भोजपुर फेस्टिवल, संकट मोचन संगीत समारोह बनारस, अजंता एलोरा फेस्टिवल, राजस्थान एवम छत्तीसगढ़ स्थापना दिवस, आइसलैंड टूरिस्म फेस्टिवल पोर्ट ब्लेयर, लखनऊ, झांसी, पुणे, शोलापुर महोत्सव प्रमुख हें।

आपने भारतीय संगीत की समृद्धिशाली परम्परा में रायगढ़ घराने के एक सशक्त ताल पक्ष को विस्तृत शोध कर शास्त्रीय घुँघरू वादन के रूप में अविष्कार कर शास्त्रीय संगीत एवम नृत्य के संरक्षण में एक और स्वर्णिम अध्याय जोड़ा ।

पेंडेमिक के दौर में जहां सभी क्षेत्रों की गतिविधियों के पहिये थम गए, वहीं वी अनुराधा सिंह ने कथक के प्रचार - प्रसार हेतु डिजिटल प्लेटफार्म को चुना और अनगिनत 70 -80 मंच प्रदर्शन, विभिन्न एफ बी पेजेज (FB Pages½ के माध्यम से बहुत ऊर्जावान, डेढ़ से दो घंटे के लगातार, अति सफल और अद्भुत लाइव कॉन्सर्ट द्वारा कथक को जन मानस और नवांकुरों के साथ साथ संगीतकला के रसिकजनों को अपनी निष्णात कला से रूबरू कराया है। सभी संगीत रसिकजनो ने आपकी इस शानदार कथक यात्रा में आपके virtual@ digitalसाथ मे अभूतपूर्व, अविस्मरणीय क्षण व्यतीत किये और आपकी अप्रतिम कला द्वारा आत्मिक शांति और असीम आनंद की अनुभूति से साक्षात्कार किया। कोरोना काल के इस कठिनतम समय मे भी आपने अपने कला हुनर से ये जता दिया कि शास्त्रीय कला किसी की मोहताज नही अपने आप मे सम्पूर्ण है और एक सच्चे कर्मठ कलाकार को दुनिया की कोई भी ताकत अपने कर्तव्य पथ से डिगा नही सकती।

देश के विभिन्न सरकारी, गैरसरकारी संगठनों, और ट्रस्टों द्वारा सम्मानित वी अनुराधा सिंह राष्ट्रीय एवम अंतराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित एकल कथक कलाकार हैं जो आज भी नियमित रूप से कठोर रियाज़ी हैं और अत्यंत ऊर्जावान कथक के क्लिष्ट ताल पक्ष, भाव पक्ष, शास्त्रीय घुंघरू वादन और रचनात्मक त्वरित कथक में पारंगत ख्यातिलब्ध कलाकार हैं।

वर्ष 2024 में संकट मोचन संगीत समारोह वाराणसी के 101 वे प्रतिष्ठापूर्ण गरिमामय आयोजन में आपकी निष्णात प्रस्तुतियों ने शुद्ध कथक और भक्ति रस की ऐसी वर्षा की कि संकट मोचन मंदिर प्रांगण में उपस्थित कला रसिकों का मन अन्तस् तक भीग गया और आपकी हर प्रस्तुति पर जय श्री राम के नारों से मंदिर प्रांगण गुंजायमान हो उठा।

देश और विदेशों से नृत्य विभाग के प्राध्यापक वी अनुराधा सिंह से कथक कर बारीकियां सीखने भोपाल आते रहते हैं। ये आपकी कला के प्रति विशिष्टता और लोकप्रियता को दर्शाता है। ये कुछ उदाहरण मात्र हैं जिनसे वी अनुराधा सिंह की कला साधना की राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर पहुंच का सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है।

1.

प्रस्ताविका

का नाम

श्रीमती वी. अनुराधा सिंह

3.

निवास का वर्तमान पता पिनकोड सहित

292, रचना नगर, भोपाल (म.प्र.) - 462023

4.

मोबाइलनम्बर

9893037766, 9425005631, 9340544504

5.

ई-मेल

vanuradhasingh@yahoo.co.in

www.kathakindia.org

6.

कलाविधा

अर्न्तराष्ट्रीय शास्त्रीय एकल कथक नृत्यांगना (उत्कृष्ट श्रेणी चयनित, अंतर्राष्ट्रीय सांस्कृतिक संबंध, भारत महोत्सव विदेश सेल, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार)

7.

कला विधा में कब से सक्रिय हैं?

1986 से 2024

8.

क्या अब भी इस कला साधना में सक्रिय हैं ?

हाँ - राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय 800 महोत्सवों में

एकल कथक नृत्य मंच प्रदर्शन

9.

उनकी रचनाओं में भारतीय चिंतन किस तरह से प्रकट होता है ?

भारतीय चिंतन की अवधारणा उस भाव से परिलक्षित होती है जिसमें भारत और भारतीय सनातन संस्कृति से जुड़ने का बोध होता हो और वी अनुराधा सिंह को देश और उसकी संस्कृति से अथाह प्रेम है, वे देवी देवताओं की अनन्य भक्त हैं और देशभक्ति का जज्बा उनमें कूट कूट कर भरा है। देश के लोगों को पश्चात्य संस्कृति के प्रभाव से बचाने के लिए और भारतीय संस्कृति के परचम को विश्व स्तर पर प्रचार-प्रसार हेतु अनुराधा ने बहुत चिंतन और अथक परिश्रम किया। इसी उद्देश हेतु आपने अपना सम्पूर्ण जीवन क्रियात्मक शोध और साधना में लगा दिया।

कथक के मूल रूप को अक्षुण्ण रखते हुए रचनाधर्मी प्रयोगों में भारतीय चिंतन के साथ कथक नृत्य को अंतिम पंक्ति तक के जनमानस तक पहुंचाना तथा उत्तर भारत के एकमात्र शास्त्रीय नृत्य कथक को अनंत ऊंचाइयों तक ले जाना और उसे ईश भक्ति से जोड़ना ही आपके जीवन का एकमात्र लक्ष्य है और इस लक्ष्य को पाने के लिए आप आज भी एक निर्विकार संत की भाँति प्रतिदिन कठोर नृत्य साधना में लीन रहकर लाखोँ कला रसिकों के हृदय पर राज कर रही हैं।

अनुराधा के स्टेमिना और लगातार अति तीव्र गति में चक्कर, घुंघरू संचालन और हस्तकों का विध्युतीय गति नृत्य करते हुए कभी शिव, कभी कृष्ण -राधा तो कभी जुगल बन्दी में कालिया मर्दन, होली, गोवर्धन लीला आदि को भावों के साथ करना । ज़िसमें आपने भारतीय सनातन संस्कृति की छटा बिखेरते अवसर विशेष के पर्व जैसे श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, राम नवमी, शिवरात्रि, नागपंचमी, प्रकृति, संगीत, विभिन्न ऋतुओं, नदियों की महत्ता, होली एवम समस्त राष्ट्रीय पर्वों आदि अनेक समसामयिक विषयों पर केंद्रित विशेष कॉन्सर्ट द्वारा कथक के अनगिनत पहलुओं पर अद्भुत प्रस्तुतियां देकर दर्शकों को भारतीय संस्कृति के सुंदर स्वरूप के दर्शन कराए हैं।

10.

अपनी कला विधा में उनकी उपलब्धियाँ

वी अनुराधा सिंह -अंतर्राष्ट्रीय प्रसिद्ध एकल कथक नृत्यांगनाः-

1. म.प्र.शासन के अंतर्गत उस्ताद अलाउद्दीन खां संगीत एवं कला अकादमी, भोपाल द्वारा कथक मंच प्रदर्शन प्रशिक्षण छात्रवृत्ति हेतु आपको पंडित बिरजू महाराज जी ने चयनित किया। जहाँ चक्रधर नृत्य केन्द्र, भोपाल में रायगढ़ घराने के प्रख्यात कथक नर्तक स्व. पंडित कार्तिकराम जी से गंडावंदन के पश्चात व उनके सुपुत्र पद्मश्री पंडित रामलाल जी से आपने गुरू शिष्य परंपरा में कथक मंच प्रदर्शन का प्रशिक्षण एवं गहन अभ्यास किया।

2. वी अनुराधा सिंह को भारत सरकार द्वारा वर्ष 1988 में भारत महोत्सव- सोवियत संघ में नृत्य प्रदर्शन हेतु मास्को भेजा गया।

3. वी अनुराधा सिंह ने भोपाल से स्नातक एवं इंदिरा कला एवं संगीत विश्वविद्यालय, खैरागढ़ (छ.ग.) से कथक नृत्य में स्नातकोत्तर की उपाधि स्वर्ण पदक सहित वर्ष 1991 में प्राप्त की।

4. देश-विदेश के 1000 अति प्रतिष्ठित समारोहों में कथक नृत्य का एकल मंच प्रदर्शन किया। रायगढ़ घराने पर क्रियात्मक शोध करके इन्होंने ऊर्जावान कथक नृत्य के सैकड़ों मंच प्रदर्शन किये। आप वर्तमान समय में अति प्रशंसित अंतर्राष्ट्रीय एकल कथक नृत्यांगना हैं, जिन्होंने सर्वाधिक मंच प्रदर्शन द्वारा रायगढ़ घराने का प्रचार एवं प्रसार किया।

5. उत्कृष्ट कथक मंच प्रदर्शनों के आधार पर संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा वी.अनुराधा सिंह को अंतर्राष्ट्रीय सांस्कृतिक संबंध (ICR)फेस्टिवल ऑफ इंडिया सेल (FOI)में ‘‘उत्कृष्ट श्रेणी’’ (OutstandingCategory)एकल कथक नृत्यांगना में चयनित व सूचीबद्ध किया है।

6. भारत सरकार द्वारा आयोजित ‘‘भारत महोत्सव-मेक्सिको’’ दिसम्बर 2019 में वी अनुराधा को 2 घंटे की एकल कथक मंच प्रस्तुतियों हेतु संगतकारों सहित मेक्सिको के अनेक शहरों में भेजा गया, जहां इनके द्वारा अतिसफल मंच प्रस्तुतियाँ दी गईं, मेक्सिको के भारतीय राजदूत ने आपके सफल कार्यक्रम की प्रशंसा करते हुए प्रशंसा पत्र भेजा।

7. भारतीय दूतावासों -आबूधाबी (यू.ए.ई.), भारतीय सांस्कृतिक केन्द्र बैंकाक (थाइलैंड) एवं ताशकंद (उज्बेकिस्तान) आदि।

सूर्या और SIFASफेस्टिवल, सिंगापुर, यू.एस.ए., यू.के., कनाडा आदि अनेक देशों में इनके एकल कथक मंच प्रदर्शन हुए हैं।

8. वी अनुराधा सिंह चार दशक से लगातार अपने ‘‘वृदा कथक केन्द्र’’ (भोपाल) की छह शाखाओं में नियमित प्रशिक्षण दे रही हैं एवं असहाय प्रशिक्षणार्थियों को शिक्षा प्रदान कर रही हैं। वर्कशॉप और मंच प्रदर्शनों द्वारा उनको कथक के प्रति उत्साहित कर आत्मनिर्भर कर रही हैं। कई प्रशिक्षणार्थी विद्यालय एवं महाविद्यालयों में कथक की शिक्षा प्रदान कर रहे हैं एवं मंच प्रदर्शन कर भारतीय शास्त्रीय नृत्य को सुदृढ़ कर उसका प्रचार-प्रसार कर रहे हैं।

09. वी अनुराधा सिंह को विभिन्न संस्थाओं द्वारा सम्मानित किया जाता रहा है- वाकणकर, कलामनीषी, वुमन ऑफ भोपाल, रायप्रवीण सम्मान आदि।

10. विश्व में पहली बार पैरों पर आधारित शास्त्रीय संगीत ‘‘घुंघरू वादन’’ कॉन्सर्ट का सृजनात्मक आविष्कार वर्ष-2010 में किया।

11. पेनडेमिक (कोरोना काल) में 70 से ज्यादा फेसबुक पेज़स पर निःशुल्क लाइव कथक मंच प्रदर्शन एवं कथक के वीडियो भारतीय संस्कृति के प्रचार-प्रसार हेतु किये।

12. क्रियात्मक साधना एवं श्रम साध्य रियाज़ द्वारा अनुराधा ने कथक में विद्युतीय गति (140 चक्कर प्रति मिनट), क्लिष्ट घुंघरू लयकारी, शुद्ध शास्त्रीय कथक में विभिन्न प्रचलित व अप्रचलित तालों को पिरोकर, सर्वाधिक मंच प्रदर्शन किये हैं जिसके प्रेस कवरेज से गूगल सर्च में आपके नाम से 1 करोड़ 40 लाख से ज्यादा पेज खुलते हैं।

11.

पूर्व में प्राप्त सम्मान का विवरण

पुरस्कार - वी. अनुराधा सिंह को विभिन्न सरकारी और गैर सरकारी संगठनों द्वारा सम्मानित किया गया है, उनमें से कुछ हैं :-

· वाकणकर सम्मान 1991

· कला मनीषी सम्मान 2004

· राजीव गांधी राष्ट्रीय एकता पुरस्कार 2004

· राय प्रवीण सम्मान 2008

· तूलिका सम्मान 2008

· राष्ट्रीय महिला उत्कृष्टता पुरस्कार 2008

· अभिनव कला सम्मान 2009

· कला साधना सम्मान 2009

· इंदिरा गांधी प्रियदर्शनी पुरस्कार 2009

· वीमेन ऑफ भोपाल 2010

· ओजस्विनी कलाश्री पुरस्कार 2010

· महाराजा चक्रधर पुरस्कार

· आईसीआर में उत्कृष्ट श्रेणी, भारत सरकार

· एम्पॉवर विमन काइंड पुरस्कार 2015

· सूर्या पुरस्कार, सिंगापुर 2013

· उत्कृष्ट प्रदर्शन सम्मान, भारतीय दूतावास

· थाईलैंड - यू.ए.ई.

· बेल और स्ट्रिंग अवार्ड, सिंगापुर 2013

· अल्वास विरासत पुरस्कार 2010 कर्नाटक

· आई.डी.एफ. पुरस्कार श्रीलंका 2018

· प्राइड ऑफ इंडिया अवार्ड इंदौर 2022

· BIC & MPACEसम्मान 2024 भोपाल

· नृत्य विभू गुरु सम्मान उज्जैन 2024 आदि।

12.

उनकी कला साधना और रचनाओं की राष्ट्रीय एवं वैश्विक स्तर पर पहुँच क्या है?

आपने देश-विदेश में सबसे अधिक और अति सफल 1000 एकल मंच प्रदर्शन किये हैं। आप शास्त्रीय कथक नृत्य के क्षेत्र में मध्यप्रदेश की एकमात्र कलाकार हैं जिन्हें अंतर्राष्ट्रीय सांस्कृतिक संबंध - आई सीआर, फेस्टिवल ऑफ इंडिया सेल, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार में ‘उत्कृष्ट श्रेणी’ की कलाकार के रूप में प्रतिष्टित किया गया है। भारत सरकार द्वारा आयोजित कई देशों में अत्यधिक प्रतिष्ठित भारत महोत्सव में अपने उत्कृष्ट प्रदर्शन से, आपने देश को गौरवान्वित किया है।

वी. अनुराधा सिंह ने कई प्रतिष्ठित कार्यक्रमों में एकल कथक और शास्त्रीय घुंघरू संगीत की प्रस्तुति दी जिन में से कुछ निम्नानुसार हैं -

· भारत सरकार द्वारा रूस में आयोजित फेस्टिवल ऑफ इंडिया फेस्टिवल ‘भारत महोत्सव - रूस 1988

· वर्ष 1988 से 2005 तक भारत के लगभग 100 शहरों में कथक के मंच प्रदर्शन किये।

· वर्ष 2005 से 2024 तक के प्रमुख मंच प्रदर्शनों की सूची निम्न हैं:-

· खजुराहो नृत्य महोत्सव 2007, 2015, 2024 खजुराहो म.प्र., शासन. संस्कृति म.प्र.

· राजस्थान दिवस समारोह 2006 अल्बर्ट हॉल, जयपुर, राजस्थान

· अंतर्राष्ट्रीय ताज महोत्सव 2005 आगरा, उत्तर प्रदेश

· राष्ट्रीय कथक महोत्सव 2007 जयपुर, राजस्थान

· राज्योत्सव-छत्तीसगढ़ दिवस 05,08 रायपुर, छत्तीसगढ़

· खैरागढ़ महोत्सव 2005 इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़, छ.ग.

· उस्ताद अलाउद्दीन खान संगीत समारोह 2008 मैहर म.प्र.

· बद्री-केदार महोत्सव 2005 बद्रीनाथ, उत्तरांचल

· अजंता एलोरा महोत्सव 2006 औरंगाबाद

· गोवा का शास्त्रीय नृत्य महोत्सव 2006 कला अकादमी, गोवा

· चक्रधर समारोह रायगढ़ 2006 रायगढ़, छत्तीसगढ़

· पुणे महोत्सव 2006 पुणे, महाराष्ट्र

· गंगा महोत्सव 2007 बनारस, उ.प्र.

· लखनऊ महोत्सव 2006 लखनऊ, उ.प्र.

· बुद्ध अंतर्राष्ट्रीय महोत्सव 2007 सारनाथ, उ.प्र

· भोरमदेव महोत्सव 2005 कवर्धा छत्तीसगढ़

· अंतर्राष्ट्रीय बुद्ध महोत्सव 2006 गया, बिहार

· द्वीप पर्यटन महोत्सव 2007 पोर्ट ब्लेयर, अंडमान और निकोबार

· मालाबार महोत्सव 2007 कालीकट, केरल

· महाराणा कुम्भा समारोह 2007 उदयपुर, राजस्थान

· नवरसपुर राष्ट्रीय नृत्य महोत्सव 2007 बीजापुर, गोलगुमाज़, कर्नाटक

· चंडीगढ़ महोत्सव 2007 चंडीगढ़

· इंडिया इंटरनेशनल सेंटर 2007 आईआईसी, नई दिल्ली

· राष्ट्रीय प्रदर्शन कला केंद्र 2008 एनसीपीए, मुंबई, महाराष्ट्र

· उदय शंकर नृत्य महोत्सव 2007 डब्ल्यूबीएसएमए, कोलकाता पश्चिम बंगाल

· उदय शंकर नृत्य महोत्सव 2007 श्रुति मंडल, जयपुर राजस्थान

· गोलकुंडा संगीत एवं नृत्य महोत्सव 2008 एपीटीडीसी, हैदराबाद आंध्र प्रदेश

· भोजपुर उत्सव, भोजपुर 2006,एवम 2020 भोजपुर, संस्कृति विभाग, म.प्र.

· कालिदास महोत्सव 2007 नागपुर

· सरस्वती प्रसंग महोत्सव 2008 भारत भवन, भोपाल मध्य प्रदेश

· राजगीर राष्ट्रीय सांस्कृतिक महोत्सव 2008 राजगीर, बिहार

· आयुर्वेद झाँसी महोत्सव 2008 झाँसी, उत्तर प्रदेश

· बसंतोत्सव महोत्सव 2009 भोपाल म2 प्रदेश

· विश्व प्रदर्शन कला महोत्सव 2008 लाहौर, पाकिस्तान

· करावली महोत्सव 2009 मैंगलोर कर्नाटक

· विंध्य महोत्सव 2007 रीवा मध्य प्रदेश

· पचमढ़ी महोत्सव 2007 पचमढ़ी मध्य प्रदेश

· उस्ताद रहमत अली संगीत समारोह 2009 भोपाल मध्य प्रदेश

· परकशन - तिगलबंदी (तीनों) 2009 आईजीआरएमएस राष्ट्रीय मानव संग्रहालय भोपाल

· बाबा हरबल्लभ संगीत सभा 2009 मल्हार महोत्सव, जालंधर पंजाब

· डीयू में अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन 2009 दिल्ली विश्वविद्यालय दिल्ली

· पूनम महोत्सव 2010 आईजीआरएमएस - इंद्रा गांधी मानव जाति संग्रहालय

· दिल्ली अंतर्राष्ट्रीय कला महोत्सव 2009 इंडिया हैबिटेट सेंटर, दिल्ली

· मोढेरा राष्ट्रीय नृत्य महोत्सव 2010 महसाणा, सूर्य मंदिर गुजरात

· एनआरआई इंटरनेशनल सरकार. सम्मेलन 2010 भारत भवन, मध्य प्रदेश।

· स्वर्ण जयंती समारोह 2010 राधा कृष्णन ऑडिटोरियम मैनिट, (म.प्र.)

· मिलेनियम ऑफ सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया 2010 रवीन्द्र भवन भोपाल

· बैजू बावरा राष्ट्रीय संगीत समारोह 2010 संस्कार भारती, रवीन्द्र भवन (म.प्र.)

· पं. कार्तिकराम स्मृति समारोह 2010 शासकीय। संस्कृति विभाग, भारत भवन, म.प्र.

· शनि जयंती संगीत महोत्सव 2010 इंदौर, मध्य प्रदेश

· मालवा से-महोत्सव 2009 इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय म.प्र.

· पारंगत महोत्सव 2010 रायपुर, संगठन। एससीजेडसीसी नागपुर द्वारा

· अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव 2010 भोपाल

· आईजीआरएमएस का वार्षिक महोत्सव 2010 भोपाल

· चक्रधर समारोह रायगढ़ 2010 रायगढ़, छत्तीसगढ़

· गंगा महोत्सव 2010 वाराणसी उ.प्र.

· अल्वास राष्ट्रीय सांस्कृतिक महोत्सव 2009 मूडबिद्री मैंगलोर कर्नाटक

· बाल गंधर्व संगीत महोत्सव 2011 जलगांव

· पं. सुंदरलाल गगनी कथक महोत्सव 2011 बड़ौदा, गुजरात

· कालिदास महोत्सव 2011 नागपुर, महाराष्ट्र

· सोलापुर महोत्सव 2011 सोलापुर, महाराष्ट्र

· बीदर उत्सव 2012 कर्नाटक

· राष्ट्रीय कथक सेमिनार महोत्सव 2012 इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ छ.ग.

· शास्त्रीय नृत्य महोत्सव, मार्डोल 2012 कला अकादमी गोवा

· पं. कार्तिकराम कथक समारोह 2012 भोपाल म.प्र

· रेनड्रॉप फेस्टिवल 2012 पं. देशपांडे सभागृह मुंबई महाराष्ट्र

· कजली महोत्सव 2012 महोबा उ.प्र.

· आईसीसीआर वार्षिक महोत्सव म.प्र. 2012 रवीन्द्र भवन भोपाल म.प्र.

· मोंडेई-नबरंगपुर महोत्सव 2012 उड़ीसा

· लखनऊ महोत्सव 2012 लखनऊ

· छत्तीसगढ़ स्थापना दिवस 2012 रायपुर

· विद्या भारती राष्ट्रीय महोत्सव 2012 ग्वालियर

· पं. गोपी कृष्ण नृत्य महोत्सव 2013 मुंबई

· भारतीय संस्कृति केंद्र 2013 ताशकंद, उज़्बेकिस्तान

· भारतीय संस्कृति केंद्र 2013 बैंकॉक, थाईलैंड

· पं. कार्तिकराम स्मृति महोत्सव 2013 भोपाल

· सिंगापुर ललित कला महोत्सव 2013

· ैप्थ्।ै सिंगापुर 2013

· सूर्या महोत्सव 2013 सूर्या सिंगापुर

· भारतीय दूतावास 2013 अबू धाबी संयुक्त अरब अमीरात

· श्रावण महोत्सव 2014 उज्जैन म.प्र. महाकाल मंदिर समिति

· पं. कार्तिकराम स्मृति समारोह 2014 भारत भवन, भोपाल

· गुरु पूर्णिमा महोत्सव 2014 पटना बिहार

· अंतर्राष्ट्रीय महाबोधि महोत्सव 2014 साँची, संस्कृति विभाग म.प्र.

· पचमढ़ी महोत्सव 2014 पचमढ़ी, संस्कृति विभाग म.प्र.

· झील महोत्सव 2015 भोपाल अपर लेक, संस्कृति विभाग म.प्र.

· कालिदास महोत्सव 2015 मंदसौर म.प्र.

· खजुराहो नृत्य महोत्सव 2015 खजुराहो, संस्कृति विभाग म.प्र.

· सिंहस्थ महाकुंभ पर्व 2016 उज्जैन, कालिदास मंच

· पं. रहमत अली स्मृति समारोह 2016 भारत भवन, भोपाल

· राज्य संग्रहालय स्थापना दिवस 2016 जनजातीय संग्रहालय, भोपाल

· पं. कार्तिकराम स्मृति समारोह 2016 रवीन्द्र भवन, भोपाल

· उत्तराधिकार दुर्गा महोत्सव 2016 राज्य संग्रहालय, भोपाल

· वृंदा कथक द्वारा आयोजित चक्रधर कथक महोत्सव 2017 रवीन्द्र भवन भोपाल

· राष्ट्रीय कथक महोत्सव 2017 कमानी ऑडिटोरियम, एस. एन. ए, संस्कृति मंत्रालय

· वंदन कथक महोत्सव 2017 रवींद्र भवन, गुवाहाटी, असम

· जश्न-ए-मध्यप्रदेश महोत्सव 2017 शहीद भवन, रंगकृति भोपाल म.प्र.

· पं. देशपांडे संगीत समारोह 2017 पं. देशपांडे सभागार, नागपुर, एस सी जेड सी सी

· कथक - मल्हार महोत्सव 2017 पुणे, अविष्कार मल्हार फाउंडेशन, महाराष्ट्र

· लद्दाख महोत्सव 2017 लेह, सिंधु संस्कृति केंद्र सभागार जम्मू एवं कश्मीर सरकार द्वारा आयोजित

· कथक महोत्सव 2017 रवींद्र भवन, गुवाहाटी, असम

· मल्हार महोत्सव 2017 मल्हार आविष्कार, पुणे, महाराष्ट्र

· वेदव्यास अंतर्राष्ट्रीय नृत्य महोत्सव 2017 भंज कला केंद्र स्वर्ण जयंती कार्यक्रम, राउरकेला, ओडिशा

· महाराजा सयाजी राव प्रदर्शन कला महोत्सव 2017 महाराजा सयाजी राव प्रदर्शन कला विश्वविद्यालय, बड़ौदा, गुजरात

· रंगकृति फाउंडेशन भोपाल द्वारा आयोजित 2018 शहीद भवन भोपाल

· कार्तिकराम स्मृति समारोह 2018 शहीद भवन भोपाल

· अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शन कला महोत्सव 2018 समन्वय भवन, भोपाल में आईपीएएफ द्वारा आयोजित

· पं. दुर्गालाल स्मृति कथक महोत्सव, 2018 रवीन्द्र भारती ऑडिटोरियम हैदराबाद, संस्कृति और भाषा, तेलंगाना सरकार

· कला मनीषी -2018 महोत्सव 2018 शहीद भवन, कीर्ति बैले फाउंडेशन, भोपाल

· गोपी कृष्ण कथक महोत्सव 2018 नासिक, कीर्ति कला केंद्र

· श्रीलंका में अंतर्राष्ट्रीय नृत्य महोत्सव 2018 बिशप ऑडिटोरियम, कोलंबो, श्रीलंका

· पंजाब कला परिषद सभागार, चंडीगढ़

· कथक तरंग 2018 वीर सावरकर स्मारक दादर ऑडिटोरियम मुंबई

· पुणे महोत्सव 2018 पुणे

· पं. कार्तिकराम स्मृति समारोह 2018 रवीन्द्र भवन ऑडिटोरियम भोपाल

· कथक महोत्सव जयपुर 2018 एसएनए जोधपुर द्वारा रवीन्द्र भवन सभागार, जयपुर

· महा कथक उत्सव 2018 उज्जैन एमपी में, दिल्ली कथक केंद्र और एसएनए, दिल्ली

· आई. डी. ए फेस्टिवल 2018 कन्नूर, केरल

· चेन्नई डांस फेस्टिवल 2018 चेन्नई

· राष्ट्रीय नृत्य महोत्सव 2019 गोवारी रापड्डी ओपन एयर ऑडिटोरियम पलक्कड़, केरल

· निनाद नृत्य महोत्सव 2019 मुंबई

· जयपुर कथक महोत्सव 2019 जयपुर कथक केंद्र, राजस्थान सरकार

· नृत्यम महोत्सव 2019 गुजरात

· नृत्योत्सवम, अहमदाबाद 2019 अहमदाबाद गुजरात

· भाव- अनुभाव, भारत भवन 2019 संस्कृति विभाग, भारत भवन म.प्र.

· श्री देवराहा बाबा संगीत समारोह, झारखंड 2019 संगीत साधना केंद्र, गिरिडीह, झारखंड

· पं. लालमणि मिश्र संगीत समारोह, कानपुर 2019 स्वरांजलि संगीत शिक्षण संस्थान, कानपुर

· देश राग महोत्सव, रीवा 2019 कृष्णा राजकपूर ऑडिटोरियन, रीवा

· अर्पित डांस फेस्टिवल, पुणे 2019 सिम्बायोसिस इंटरनेशनल ऑडिटोरियम, आरएससीए फाउंडेशन, पुणे

· नज़ाकत कथक महोत्सव, बैंगलोर 2019 भारतीय विद्या भवन सभागार संगठन, आईसीसीआर द्वारा,

· भारतीय विद्या भवन और नादम, बैंगलोर

· भारत सरकार द्वारा मेक्सिको में आयोजित फेस्टिवल ऑफ इंडिया इन मेक्सिको (‘भारत महोत्सव, मेक्सिको’) 2019 में भारत से सिर्फ अनुराधा सिंह को एकल कथक के 2 घण्टे के प्रदर्शनों हेतु भारत सरकार ने मेक्सिको के विभिन्न शहरों में (गुडलजारा, ओक्साका आदि) भेजा। 30 नवंबर से 13 दिसंबर 2019 मेक्सिको देश, फेस्टिवल ऑफ इंडिया सेल, संस्कृति मंत्रालय, आई. सी. आर, भारत सरकार द्वारा आयोजित।

· अमृतांजलि नृत्योत्सव 2020 पुणे

· अंतर्राष्ट्रीय बोधगया महोत्सव 2020 बोधगया, बिहार, पर्यटन सरकार

· भारत भवन स्थापना दिवस महोत्सव 2020 भारत भवन भोपाल

· अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शन कला महोत्सव 2020 समन्वय भवन भोपाल

· संकट मोचन संगीत समारोह, वाराणसी, यूपी 2020, 2021 संकट मोचन मंदिर, वाराणसी, यूपी से 2021 डिजिटल लाइव।

· कलांजलि, शास्त्रीय संगीत समारोह 2021 रांची, झारखंड सरकार

· नृत्यम, कथक महोत्सव 2021 जयपुर, जवाहर कला केंद्र, जयपुर

· पं. कार्तिकराम स्मृति समारोह 2021, 2022 कला भवन, भोपाल

· विश्व संगीत दिवस 2021 जयपुर

· स्वयंसिद्ध महोत्सव 2021 भोपाल, म.प्र. संस्कार भारती

· चक्रधर महोत्सव 2021 कला भवन, भोपाल

· घुंघरू समारोह 2022 कृष्णा राजकपूर ऑडिटोरियम, रीवा, म.प्र. सरकार.

· दिल्ली कथक महोत्सव 2022 स्वामी विवेकानंद सभागार, एसएनए, मंत्रालय

· संस्कृति, सरकार. भारत की

· वसंतोत्सव संगीत समारोह 2022 विष्णुपद मंदिर, गया, बिहार

· भोरमदेव महोत्सव 2022 कबीरधाम, छत्तीसगढ़ सरकार

· संकट मोचन संगीत समारोह 2022 संकट मोचन मंदिर, वाराणसी

· मप्र संस्कृति शासन द्वारा राम प्राकट्य महोत्सव 2022 राजगढ़।

· मालवा उत्सव 2022 देवी अहिल्याबाई होल्कर परिसर, इंदौर, म.प्र.

· परम्परा महोत्सव 2022 देवास, म.प्र.

· विष्णु पद वार्षिक संगीत समारोह 2022 गया, बिहार

· भवनुभव वार्षिक नृत्य महोत्सव 2022 भारत भवन

· पल्लोवत्सव 2023 श्री साई ऑडिटोरियम, नागपुर

· रामप्रसाद संगीत महोत्सव 2023 सोनपुर, बिहार

· वार्षिक हरिदास संगीत महोत्सव 2023 धनबाद, झारखंड

· लता मंगेशकर श्रद्धा संवित महोत्सव 2023 भोपाल

· वार्षिक स्वामी हरिदास संगीत समारोह 2023 संस्कार भारती, धनबाद, झारखंड

· आई. जी. आर. एम. एस 47वां स्थापना दिवस महोत्सव 2023 आईजीआरएमएस, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय

· गुरु पूर्णिमा उत्सव 2023 ग्वालियर,

· भारत संस्कृति यात्रा फेस्टिवल 2023 हिंदुस्तान आर्ट एंड म्यूज़िक सोसाइटी , रवींद्र भवन, भोपाल म प्र

· मप्र भवन नई दिल्ली के नए ऑडिटोरियम का उद्घाटन अवसर 2023 नई दिल्ली

· राष्ट्र निर्माण में मातृ शक्ति की भूमिका विषय पर आयोजित संगोष्टि में अध्यक्षता , मुख्य वक्ता पद्मविभूषण डॉ सोनल मानसिंह 2023 रवीन्द्र भवन,भोपाल म प्र

· श्रीराम प्राकट्य प्रतिष्ठा पर्व 2024 कला भवन, भोपाल म प्र

· बसंतोत्सव फेस्टिवल 2024 कला भवन,भोपाल म प्र

· खजुराहो स्वर्ण जयंती नृत्य महोत्सव 2024 खजुराहो

· संकट मोचन संगीत समारोह 2024, वाराणसी।

· भारतीय विद्या भवन, 2024 मुम्बई।

· गुरूपूर्णिमा पर्व 2024 उज्जैन, त्रिवेणी संग्रहालय।

· गुरूपूर्णिमा पर्व 2024, सरस्वती शिशु मंदिर, भोपाल

13.

सामाजिकयोगदान

शिक्षण और प्रसारः-

· वी अनुराधा सिंह ने वृंदा कथक केंद्र की भोपाल (म.प्र.) में वर्ष 1991 में स्थापना की ज़िसका उद्देश्य देश और विदेशों में कथक नृत्य के प्रचार, प्रसार और नवांकुरों के शास्त्रीय संगीत, नृत्य के प्रदर्शन और प्रशिक्षण के लिए कई कार्यशालाओं और सेमिनारों का निशुल्क आयोजन करना प्रमुख है। कथक को समर्पित इस प्रतिष्ठित केंद्र की भोपाल में 6 शाखाओं में स्वयं अनुराधा जी मंच की बारीकियों का नियमित प्रशिक्षण देती आ रही हैं। अब तक 5000 से अधिक छात्रों ने कथक नृत्य व संगीत में डिप्लोमा, ग्रेजुएट, पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री हासिल कर ली है। अनुराधाजी के कुशल मार्गदर्शन और 34 वर्षों की प्रतिबद्धता के साथ केन्द्र ने कथक के प्रशिक्षण संस्थान की अन्तराष्ट्रिय प्रतिष्ठा हासिल की है, जहां विदेशों से भोपाल प्रशिक्षण हेतु अनेक कथक के प्राध्यापक भी आते रहते हैं। श्रीलंका कोलंबो से विजुअल परर्फामिंग आर्ट्स यूनिवर्सिटी की कथक विभागाध्यक्ष श्रीमती इमाशा मृदुसिंघे ने भोपाल आकर अनुराधा सिंह से कथक की बारीकियों का प्रशिक्षण लिया।

· दो दशक से अनुराधा 2 भव्य वार्षिक महोत्सवों का आयोजन भोपाल में करती हैं। अपने गुरु स्वर्गीय पंडित कार्तिक राम की स्मृति में एक भव्य सांस्कृतिक महोत्सव - “पंडित कार्तिक राम स्मृति समारोह“ एवं राजा चक्रधर सिंह की स्मृति में “ चक्रधर महोत्सव“ का भव्य आयोजन करती हैं। जिसमें देश के प्रसिद्ध विभिन्न शास्त्रीय विधाओं के नामचीन कलाकारों को आमंत्रित करने के साथ-साथ, वृंदा कथक केंद्र से जुड़े विधार्थियों के साथ अन्य नवांकुरों को भी निशुल्क वेशभूषा व प्रशिक्षण दे कर उसी मंच पर, आत्मविश्वास जाग्रत करने के उद्देश्य से अपनी मंच प्रस्तुति करवाई जाती है। आप नियमित रूप से स्कूलों और कॉलेजों के कथक नवांकुरों को कथक के मंच क्षेत्र में अपना मुकाम बनाने में भी मार्गदर्शन देती हैं। अनुराधा एक स्थापित ब्रांड एंबेसडर और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कथक नृत्य कला प्रदर्शन की पुरजोर हिमायती हैं।

· देश-विदेशों में आपने कथक आधारित अनेक कार्यशालाएँ आयोजित की विदेशी विश्व विद्यालयों में जाकर आपने कथक के प्राध्यापकों और विद्यार्थियों को कथक की बारीकियां सिखाईं।

· विभिन्न सुदूर अंचलों के आर्थिक और सामाजिक रूप से कमजोर वर्गों जैसे विकलांग छात्रों, अनाथों, पक्षाघात के रोगियों, अवसाद में डूबे और तलाकशुदा लोगों के लिए प्रशिक्षण शिविर आयोजित करती हैं और उन्हें अवसाद मुक्त और सामान्य जीवन जीने के लिए प्रेरित करती है।

· पिछले 10 वर्षों से हर साल वरिष्ठ नागरिक मंच भोपाल को बिना किसी दिखावे के वित्तीय सहायता प्रदान करती हैं।

· 2005 में सुनामी त्रासदी के दौरान अपनी गहरी संवेदनशीलता का परिचय देते हुए नेक काम के लिए उन्होंने NITTR (भारत सरकार) के साथ संयुक्त रूप से अपना डांस चैरिटी शो आयोजित किया और एकत्र की गई धनराशि को प्रधान मंत्री राहत कोष में भेज दिया।

· श्रीलंका, ताशकंद सिंगापुर ¼SOORYA, SIFAS½ आदि कई देशों में नृत्य प्रदर्शन और कई चैरिटी शो, कार्यशालाओं का निःशुल्क आयोजन किया।

· आप सन् 1985 से नियमित रूप से सुदूर क्षेत्रों में वंचित बच्चों, धर्मार्थ संस्थानों में संसाधनों की कमी वाले छात्रों को निः शुल्क प्रशिक्षण प्रदान करती है

· अनुराधा के कथक के प्रति पूर्ण समर्पण की पराकाष्ठा इसी तथ्य से परिलक्षित होती है किआपकी एक किडनी क्षतिग्रस्त होने के कारण बार बार संक्रमण होने और स्थाई उच्च रक्तचाप के चलते चिकित्सकों के मना करने के बावजूद भी आपने अपना जीवन कथक कला को समर्पित कर दिया है भारतीय कथक नृत्य को जमीनी स्तर से अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक अनंत ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए निःस्वार्थ रूप से कृत संकल्पित है।

14.

कोई अन्य विवरण जो आप देना चाहते हैं।

1. म.प्र.शासन के अंतर्गत उस्ताद अलाउद्दीन खां संगीत एवं कला अकादमी की मंच प्रदर्शन प्रशिक्षण हेतु कथक नृत्य छात्रवृत्ति के लिए वर्ष 1987 में चार वर्षीय प्रशिक्षण हेतु चयन किया गया।

2. वी अनुराधा सिंह ने भोपाल से स्नातक एवं इंदिरा कला एवं संगीत विश्वविद्यालय,खैरागढ़ (छ.ग.) से कथक नृत्य में स्नातकोत्तर की उपाधि स्वर्ण पदक सहित वर्ष 1991 में प्राप्त की।

3. पं. कार्तिकराम जी से गंडावंदन के पश्चात उनसे और पं. रामलाल जी से गुरू शिष्य परंपरा के अंतर्गत कथक प्रशिक्षण एवं गहन अभ्यास प्राप्त किया।

4. इन्हें भारत सरकार द्वारा वर्ष 1988 में भारत महोत्सव में नृत्य प्रदर्शन हेतु मास्को (रूस) भेजा गया।

5. भारत के विभिन्न राज्यों के आमंत्रण पर लगभग 21 राज्यों के अति प्रतिष्ठित लगभग 800 समारोहों में कथक नृत्य का एकल मंच प्रदर्शन किया।

6. उत्कृष्ट कथक मंच प्रदर्शनों के आधार पर भारत सरकार, संस्कृति मंत्रालय द्वारा वी.अनुराधा सिंह को अंतर्राष्ट्रीय सांस्कृतिक संबंध (ICR) फेस्टिवल ऑफ इंडिया सेल (FOI)में ‘‘उत्कृष्ट श्रेणी’’ (Outstanding Category) एकल कथक कलाकार के रूप में चयनित किया गया है।

7. भारत सरकार ने दिसम्बर 2019 में वी अनुराधा को दो घंटे की एकल कथक मंच प्रस्तुति हेतु संगतकारों सहित ‘‘भारत महोत्सव मेक्सिको’’ के विभिन्न शहरों में भेजा गया जहां इनकी अति सफल मंच प्रस्तुतियाँ हुईं।

8. इसके अतिरिक्त भारतीय दूतावास आबूधाबी (यू.ए.ई.), भारतीय सांस्कृतिक केन्द्र बैंकाक (थाइलैंड) एवं ताशकंद (उज्बेकिस्तान), सूर्या एवं SIFAS फेस्टिवल सिंगापुर आदि अनेक देशों में इनके एकल कथक मंच प्रदर्शन हुए हैं।

9. वी अनुराधा सिंह द्वारा वर्ष 1991 से लगातार कथक का नियमित प्रशिक्षण दे रही हैं एवं असहाय एवं निर्धन प्रशिक्षणार्थियों को निःशुल्क शिक्षा प्रदान कर रही हैं एवं वर्कशॉप और मंच प्रदर्शनों द्वारा उनको कथक के प्रति उत्साहित कर संबल प्रदान कर रही हैं।

10 वी अनुराधा सिंह को विभिन्न संस्थाओं द्वारा सम्मानित किया जाता रहा है।

11. 2005 में चेरिटी मंच प्रदर्शन कर पी.एम. राहत कोष में दान राशि दी गई। SOSबालग्राम में निःशुल्क कथक प्रशिक्षण दिया। इच्छुक निर्धन एवं असहाय विद्यार्थियों को कथक नृत्य में डिग्री, डिप्लोमा व प्रशिक्षण देकर आत्मनिर्भर बनाती आ रही हैं। इनके कई विद्यार्थी स्कूल, कॉलेजों में कथक की शिक्षा प्रदान कर रहे हैं एवं मंच प्रदर्शन भी कर रहे हैं।

12. कथक में शास्त्रीय संगीत घुंघरू वादन कॉन्सर्ट का सृजनात्मक अविष्कार वर्ष-2010 में किया।

13. पेनडेमिक (कोरोना काल) में 70 से ज्यादा फेसबुक पेजेस पर कथक मंच प्रदर्शन किया।

14. रायगढ़ घराने पर क्रियात्मक शोध करके इन्होंने ऊर्जावान कथक नृत्य के सैकड़ों मंच प्रदर्शन किये। अतएव ये वर्तमार समय में अति प्रशंसित एकल कथक नृत्यांगना हैं जिन्होंने सर्वाधिक मंच प्रदर्शन द्वारा रायगढ़ घराने का प्रचार एवं प्रसार किया।

15. क्रियात्मक साधना एवं श्रम साध्य रियाज़ द्वारा अनुराधा, विद्युतीय गति के (140 चक्कर प्रति मिनट) की तैयारी एवं क्लिष्ट घुंघरू लयकारी साथ ही शुद्ध शास्त्रीय कथक को विभिन्न प्रचलित व अप्रचलित तालों में पिरो कर सर्वाधिक मंच प्रदर्शन करती आ रही हैं जिसके प्रेस कवरेज से गूगल सर्च में आपके नाम से 1 करोड़ 38 लाख से ज्यादा पेज खुलते हैं।

आविष्कार घुंघरू वादन शास्त्रीय संगीत कार्यक्रम

संसार में अभी तक कोई ऐसा शास्त्रीय संगीत मंच कॉन्सर्ट नहीं था, जो पैरों/पद संचालन के प्रयोग द्वारा उत्पन्न होता है। घुंघरू हमारे प्राचीन भारत के वाद्य यंत्रों में से एक है जिसे मुख्य धारा के रूप में मंच प्रदर्शन हेतु स्थापित करने आप चेष्ठा कर रही हैं। इसके लिए वी अनुराधा ने प्रसिद्ध शास्त्रीय विद्वानों (तबला पखावज) के कार्यों पर गंभीरता पूर्वक क्रियात्मक शोध व श्रम साध्य रियाज द्वारा शास्त्रीय घुंघरू संगीत के नवीन मंच प्रदर्शन का नवाचार किया। इसमें सदैव वे पद संचालन की तकनीकी ज्ञान को बढ़ाते हुए निरंतर रियाज से विभिन्न लय-ताल पक्ष के आयामों को त्वरित विदुतीय बुद्धि कौशल द्वारा एक ही स्थान पर किया जाता है जो कि अत्यंत दुष्कर कार्य है। इसमें आपने प्रचलित तालों के साथ अनेक अप्रचलित तालों, छन्दों, अछोभ, क्लिष्ट, लमछड, फर्माइशी बोल, परणों, चलन और लयकारियों की प्राचीन बंदिशों को गतिशील घुंघरू द्वारा करते हुए भाव अभिव्यक्ति व हस्तकों से कथा भाव भी प्रदर्शित किये और दो घंटे के शास्त्रीय संगीत के उत्कृष्ट रूप को दर्शकों के सामने प्रदर्शित किया जो कि भारतीय संस्कृति का उत्कृष्ट रूप है क्योंकि कोई भी वाद्य हाथ या मुंह से बजाया जाता है लेकिन एक नृत्यकार का जब एक ही स्थान पर खड़े होकर दो घण्टे तक विभिन्न लयकारियों व शास्त्र सम्मत ज्ञान को पैरों में बंधे घुंघरूओं को तबले की तरह पैरों से वादन करना साथ ही हस्तक और भावों से कथा भी दर्शाना अति दुष्कर कार्य है जिसका दर्शकों पर बहुत ही सम्मोहन का प्रभाव पड़ता है और तीनों विद्या हस्तक भाव व पद संचालन एक साथ देखने का अनुभव दर्शकों को भाव विभोर कर देता है। आपने विभिन्न गतों को पैरों द्वारा और हस्त संचालन भाव द्वारा छोटी प्रकृति की कहानियों में गढ़ा है। आपकी पाँच लय बनाना और उस पर त्वरित असंख्य पलटे करना आपके कठिन रियाज व ज्ञान को परिलक्षित करता है। जब घुंघरू से वादन हो और तबला भी साथ में बजता है तो वह एकरूपता दर्शकों के कानों में अद्भुत रस घोलती है।

भारतीय नृत्य कथक में विभिन्न शास्त्र सम्मत तकनीकी शब्दों के विभिन्न पदाघातों को सीख कर लयपूर्ण गति में करना अद्भुत सृजनात्मक क्रिया है, जो घुंघरू द्वारा विश्व में सिर्फ भारत में परिलक्षित होती है। भारतीय संगीत में घुंघरू की ध्वनि के साथ नृत्य की क्रिया, अंग भंगिमाओं की क्रिया और भाव अभिव्यक्तियों का समन्वय इस कला को उत्कृष्टता प्रदान करता है। हस्तक, भाव और पद संचालन का शास्त्रसम्मत विभिन्न गतियों में प्रदर्शन, हजारों दर्शकों को बांध कर रखता है। यही भारतीय नृत्य के तीन मुख्य आधार हैं जिसमें घुंघरू का स्थान सर्वोत्तम है।

भारतीय नृत्यों में पद संचालन क्रिया का ‘नींव’ के समान महत्व है क्योंकि चेहरे से भाव, हाथों से मुद्राऐं व हस्त संचालन के साथ ही पैरों से जमीन पर आघात (ठोका/Tap) देकर ताल-लय का निर्वाह किया जाता है। विभिन्न तालों के मात्रा, विभाग, ठेका आदि स्वरूप के अनुसार ही पद संचालन का विभिन्न तरह से विस्तार किया जाता है, जो घुंघरू से पदघातों द्वारा उत्पन्न होता है जो दर्शकों के कानों में नृत्य की छन्द रचना और क्रियात्मक रचनात्मकता को विशेष श्रव्य रूप में घुंघरू संगीत में गति-छन्द-लय, बनके प्राण फूंकने लगता है। समस्त विश्व ब्रह्मांड लय-गति से बंधा हुआ है। विश्व विधाता द्वारा सृजित समस्त प्रकृति में समय क्रम की जो निश्चित गति है वही संगीत में घुंघरू द्वारा रसपूर्ण और रचनात्मक स्वरूप को दर्शाती है। शास्त्रीय वादन, नृत्य और संगीत समय की नियमित गति यानि लय में होता है। भारतीय कथक नृत्य में नर्तक का पद संचालन, तबले के बोलों से मिल कर अद्भुत, अलौकिक एकरूपता का संयोग बन सौंदर्य का पूर्ण और शुद्ध लयात्मक रूप उत्पन्न करता है। नृत्य का शुद्ध संगीत हेतु लय का होना अति आवश्यक है। जो नेत्रहीन होता है वो भी घुंघरूओं की लय का अनुभव कर सकते हैं और लय का आनन्द ले सकते हैं।

अखण्ड काल-गति को छन्द या पदों में विभाजित करने के प्रयोग हुए उन्हें ही ताल कहा गया । ‘ताल’ संगीत को अनुशासित कर उसके सुगठित रूप स्थायित्व एवं चमत्कारिता से दर्शकों को विभोर कर देती है। पदसंचालन शोध एवं क्रियात्मक अनुसंधान के द्वारा भारतीय नृत्य परम्परा का संवर्धन के साथ-साथ मनुष्य के ताल-भाव के आंकलन एवं फलन उत्तरोत्तर सटीका की ओर बढ़ रहा है जिससे इस विज्ञान को भविष्य में और ज्यादा जानने की जिज्ञासा बढ़ रही है। यह पूर्णतः क्रियात्मक प्रदर्शन और गतिशील सुतंलन (dynamical equilibrium) का अध्ययन है। नर्तक के ज्ञान और रिआज से ही चरम लक्ष्य प्रापत होता है। ज्यादा से ज्यादा शुद्धता के साथ फलन ही एक गतिशील बल के कारण संतुलन में रहता है। ताल और लय की गति के आधार पर गणना के दो परिभ्रमण होते हैं - शरीर का कथा-भाव, इस्तक और मुद्राओं का प्रयोग करते हुए पैरों के घुंघरू का सही गणितीय गति में पदाधान कर समायोजित किया जाना। कथक में हिन्दुस्तानी संगीत पद्धति का प्रयोग होता है जिसमें तबले की भूमिका का महत्वूपर्ण योगदान होता है। तबला वाद्य स्वतः में पूर्ण है इसलिए श्रेष्ठ के साथ ही आनंद का प्रदायक भी है। उसी तरह जब हम सिर्फ फुट माइक पर घुंघरू वाद्य का शास्त्रीयता के विभिन्न विलक्षणता को पदचापों द्वारा वादन करते हैं तो घुंघरू वाद्य भी श्रेष्ठ के साथ ही पूर्ण और आनंद का प्रदायक बन जाता है।

भारत के अति प्राचीन घुंघरू वाद्य की क्रियात्मकता, सृजनात्कता और रचनात्कता को शास्त्रीय ताल-लय छन्दों की विलक्षणता के साथ जब प्रदर्शन किया जाता है तो घुंघरू संगीत का अट्टू संबंध सिद्ध होता है। विश्व में भारत ही एकमात्र ऐसी संस्कृति का देश है जहाँ पैरों से बजाए जाने वाले संगीत (घुंघरू वादन) का जन्म हुआ है। इस कठिन विद्या को नारी शक्ति, मातृ शक्ति साधना द्वारा जब मैं विभिन्न देशों में एक ही स्थान पर दो घंटे घुंघरू वादन का प्रदर्शन करती हूँ तो भारतीय नारी के साथ ही हमारी संस्कृति और उसके शास्त्रीय संगीत के रूप की कलात्मकता दर्शकों को भाव-विभोर कर देती है। मानव शरीर की ऊर्जा, ज्ञान और गणना की लगातार गतिशीलता का परिचय घुंघरू संगीत द्वारा परिलक्षित होता है।

मैंने (वी अनुराधा सिंह) विभिन्न पदाघातों पर मनन और रिआज करके विशेषकर तबले की तरह ही घुंघरू का वादन कर जहाँ नृत्य नहीं होना था उन महोत्सवों में शुद्ध शास्त्रीय घुंघरू वादन के कॉन्सर्ट किया जिनमें से प्रमुख हैं - बैजूवावरा राष्ट्रीय संगीत महोत्सव, भोपाल-2010, बाबा हरवल्लभ संगीत समारोह का मल्हार उत्सव, जालंधर, कालिदास महोत्सव नागपुर आदि।

पूरा मानव शरीर गतिशील पैरों के ऊपर संतुलित करते हुए हस्तकों व चेहरे से विभिन्न कथाओं को भी कठिन परनों और छन्दों के साथ प्रदर्शित करता है। इस तरह हम भविष्य में शुद्ध शास्त्रीय भारतीय संगीत के नए अध्याय को विस्तृत करते हुए संस्कृति का संवर्धन करते हैं और विश्व में एकमात्र पाद कला संगीत की गहराई और भारतीय शास्त्रीय संगीत को नई ऊँचाई पर ले जाकर हजारों दर्शकों को इस अद्भुत कला से रूबरू करवा कर भारत का मान बढ़ा सकते हैं।

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